#गया_का_जनार्दन_मंदिर_स्वयं_के_जीते_जी_श्राद्ध_करने_का_स्थल











 #गया_का_जनार्दन_मंदिर_स्वयं_के_जीते_जी_श्राद्ध_करने_का_स्थल 


गया का जनार्दन मंदिर भस्मकूट पर्वत पर बना है और पत्थरों से निर्मित यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी खास माना जाता है। यहां भगवान विष्णु जनार्दन रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर की अनोखी बात यह है कि यहां जीवित व्यक्ति स्वयं अपने लिए पिंडदान कर सकता है। ऐसा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। यही कारण है कि खासकर पितृपक्ष के दौरान इस मंदिर में देशभर से श्रद्धालु आते हैं और भारी भीड़ उमड़ती है।


#कौन_कर_सकता_है_अपना_जीते_जी_पिंडदान?


👉हर व्यक्ति जनार्दन मंदिर में अपना श्राद्ध नहीं करता। यह परंपरा खास परिस्थितियों में निभाई जाती है।

👉जिन लोगों की संतान नहीं होती और जिनके बाद कोई पिंडदान करने वाला नहीं रहेगा।

👉वे लोग जो वैराग्य या संन्यास ले चुके होते हैं।

👉कुछ श्रद्धालु जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति पाने के लिए भी यहां यह अनुष्ठान करते हैं।


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